Pujya Mataji

Pujya Mataji


जन्म : 10 जनवरी 1922
समाधि : 03 नवम्बर 2011

परम पूज्यनीय माताजी(धर्मपत्नी महात्मा श्री यशपाल जी महाराज) का जन्म 10 जनवरी 1922 में हुआ | आपने अपना सारा जीवन सत्संग की सेवा में लगा दिया | आपका जीवन एक उदाहरण है कि किस प्रकार एक व्यक्ति निष्काम कर्म करते हुए आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त कर सकता है | पूज्यनीय सत्गुरुदेव पूज्य यशपाल जी महाराज के दर्शनार्थ हेतु सत्संगियो का आना-जाना आपके पास लगा ही रहता था | कोई भी किसी समय भी आ जाय पूज्यनीय माताजी उसको अपने बालक की तरह ख्याल रखती थी कि किसी सत्संगी को किसी प्रकार की कोई परेशानी न होने पावे | आप आध्यात्मिक विद्या के साथ-साथ सत्संगी बहन भाइयो से सांसारिक विषयों में भी चर्चा करती रहती व उनके कष्टों का निवारण करती | आपके संरक्षण में आये हुए प्रत्येक सत्संगी को प्रतीत होता कि आप उसको अपने पुत्र-पुत्री की तरह ख्याल रखती है|

आपने अपने जीवन काल में आध्यात्म की ऊँची से ऊँची सीढ़िया प्राप्त कर ली थी | एक बार परम संत महात्मा यशपाल जी महाराज के गुरु परम संत महात्मा बृजमोहन लाल जी महाराज ने परम संत महात्मा यशपाल जी महाराज से कहा कि आपने (पूज्यनीय माताजी) ने आध्यात्म की ऊँची से ऊँची सीढ़ी पार कर ली है बस जुबान नहीं है (आप कम बोलती थी) |

सत्गुरुदेव परम संत महात्मा यशपाल जी महाराज कहा करते थे कि सत्संग की उन्नति में पूज्यनीय माताजी का बहुत बड़ा योगदान है | एक बार पूज्यनीय सत्गुरु देव परम संत महात्मा श्री यशपाल जी महाराज को विदेश जाने का अवसर मिला तथा आपने पूज्यनीय माताजी को इस विषय में बताया | पूज्यनीय माताजी ने कहाँ कि आपके जाने से सत्संग बिखर जाएगा जिसे सुनकर पूज्य सत्गुरुदेव बहुत खुश हुए तथा आपने विदेश जाने से इनकार कर दिया और यही रहकर सत्संग का कार्यभार संभाला | परम पूज्यनीय सत्गुरुदेव पूज्य यशपाल जी महाराज ने अपना शरीर 3 अप्रैल 2000 को परमपिता परमात्मा में विलीन कर दिया | आपने इस समय सत्संग की ज़िम्मेदारी को परम पूज्य माताजी को सौपा | पूज्य सत्गुरुदेव के पर्दा करने के बाद आपने सत्संग को संभाला तथा सत्संगी भाइयो को आपने वैसा ही प्रेम दिया जैसा पहले मिलता था | आप कम बोलती थी परन्तु आपके संपर्क में आये हुए सत्संगियों को आपसे आत्मिक लाभ प्राप्त होता था |