पूज्य रमेश भैय्या जी का जन्म २३ जुलाई, १९४५ को उत्तर प्रदेश के जिला बुलन्दशहर में हुआ था | आप परम संत महात्मा श्री यशपाल जी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र है | आप ने स्नातक विद्युत यान्त्रिकी ऑनर्स की पढ़ाई जबलपुर विश्वविद्यालय सन् १९६९ में उत्तीर्ण की | १९७० में थाणे महाराष्ट्र प्रथम नौकरी सहायक इंजिनियर के रूप में एक प्राइवेट फैक्ट्री में की उसी वर्ष सन् १९७४ में मै. इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमि. रायबरेली यू.पी. में कार्य किया और अपनी योग्यता एवं कर्मठता के बल पर उन्नति करते हुए आप इस संस्था से उप महाप्रबंधक के पद से सन् २००३ में सेवा निवृत्त हुए| परम संत महात्मा यशपाल जी महाराज द्वारा प्रथम् शान्तिपाठ/भंडारा मoअक्टूबर १९५६ परम संत महात्मा बृजमोहन लाल जी महाराज की याद में दिल्ली में संपन्न हुआ| आपको यही पर परम संत महात्मा यशपाल जी महाराज द्वारा केवल १३ वर्ष की आयु में पूजा (बीज मंत्र) प्राप्त होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ| आप अपने गुरु प्रेम, पिता प्रेम, त्याग, निष्काम सेवा, अविचल अभ्यास, विनम्रता के अनुभव के कारण थोड़े ही समय में अपने सत्गुरू के विशेष प्रिय हो गए|
आप ने अपने गुरुदेव के जीवन काल में उन्ही के संरक्षण में आध्यात्म की उच्चतम मंजिले प्राप्त की | आपको परम संत महात्मा यशपाल जी ने सन् १९७० से बाहर सत्संग प्रचार-प्रसार करने हेतु जाने की आज्ञा दे दी थी जिसके अनुसार आप सत्संग प्रोग्राम कराने के लिए पुणे, मुंबई, नागपुर, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, झाँसी, नवसारी, बड़ोदा, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, चण्डीगढ़, चंबा हिमाचल, भोपाल, जबलपुर और अन्य स्थानों पर सत्संग व् शान्तिपाठ करवाने के लिए जाते रहे| आप के सानिध्य में आये साधक आप द्वारा बताई गयी विधि के अनुसार अभ्यास करने पर थोड़े ही समय में सुसुप्ति, उलटधार, चौबीस घंटे इश्वर की याद, आध्यात्मिक चक्रों का जागरण, आत्मसाक्षात्कार जैसे सुन्दर और दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर कृतकृत्य हो जाते है | आप ने अपने सत्गुरुओ (सिलसिले के बुजुर्गो) के द्वारा संरक्षित इल्मेसीना(ब्रह्मविद्या) के प्रचार-प्रसार हेतु २०१२ में यशरूप साधना पीठ की स्थापना की | यह वही पवित्र ब्रह्मज्ञान है जो महर्षि अष्टावक्र जी ने अपने प्रिय शिष्य राजा जनक को प्रदान किया था | वही प्राचीन ब्रह्म विद्या जो बाद में सूफी संतो में चली गयी और फिर परम संत महात्मा रामचन्द्र महाराज जी द्वारा हिन्दुओ में फिर वापस हुई|